संस्कृत वाङ्मय में शिवतत्व जगदानन्द झा3:06 am 1 टिप्पणी नित्यमानन्दमयं शान्तं निर्विकल्पं निराकारम् । शिवतत्त्वमनाद्यन्तं ये विदुस्ते परं गताः ।। यतो वाचो निवर्तन्ते अप्राप्य मनसा सह । तदेवं परमं प्रोक्तं ब्रह्मैव शिवसंज्ञकम् ।। जिस पर शिव कृपा करते हैं, वही शिव तत्व को जान पाता है। सूचना- यह लेख व्याख्यान...
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